Friday 27 May 2011

जंग-ए-ईमान!!!

आया वह चहचहाते हुए
शायद इसलिए की 
मिलजाए पनाह,
बुझ जाए प्यास,
और मिट जाये क्षुधा...|
पर देख कर रह गया दंग
न था घड़े में पानी,
वर्तन में न था
एक भी अन्न का कण..|  
यही है इमानदारी की  हालत
जिससे लड़ रहा हूँ जंग...|

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