लोकतंत्र में आजकल सबसे अच्छा है राजनीति,
सोचता हूँ बन जाऊं एक नेता,घर मेरे लगे खजानों की बाराती.........(१)
घपलावाजी,धोखेवाजी करदूँ जीतने चाहे घोटाला,
जनता की आँखों में धुल झोंक के पहनूं नोटों की माला.................(२)
रिश्वतखोरी,भ्रष्टाचार,गुंडागर्दी की चारों ओर हो जाए सूत्रपात,
भय दिखाके क़ानून की नोटों से करूँ बात...............................(३)
खुलने लगे जब पोल मेरी अलग बनालूं अपना गुट,
सरकार से बोलूं बचाओ मुझको,नहीं तो तू भी जाएगा टूट..............(४)
सत्ता मोह की लोभ में सरकार,सी.वी.आई. को दे आदेश,
जल्दी से जल्दी ख़ारिज करके,उठालो इस पर अपना केस.............(५)
देश जाए भाड़ में इससे मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता,
भरता रहे खजाना मेरा इससे सब कुछ होता...........................(६)
मौक़ा देखके पैसे के खातिर गिरवी रखदूँ अपना देश,
घर-वार बेच के यहाँ का,भाग कर बस जाउंगा विदेश.................(७)
बनकर विदेशी नागरिक भला देश ऊबे या डूबे कौन देखता,
यही है देश की राजनीति आज,इस तरह के सारे नेता..............(८)
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