Wednesday 11 May 2011

द्रौपदी!!!

द्रौपदी!!!!
आज अगर तुम होती तो,
अपने लाज को बचा नहीं पाती......|
आज के जो युधिष्ठिर तुम को कोठे पे बिठा देते,
भीम तो खूद कीचक के पास ले जाता,
तुम्हारी इज्ज़त जुए मैं नहीं,बाज़ार मैं नीलाम होती....|
ये जो दू:सासन  है तुम्हे निर्वस्त्र कर देता,
ये हाथ से नहीं मशीन लगाकर तुम्हारे कपडे उतार देता...|
कदाचित कृष्ण भी तुम्हे बचा नहीं पाते,
क्योंकि हार जाने के डर से वो भी नहीं आते,
दुर्योधन अपने मनसूबे पर कामयाब हो जाता..|
अपनी विवसता मैं बस तुम लूट जाती,
खूद के नज़र मैं ही गिर जाती,
समाज के नर पिशाच जीत जाते,
तुम हमेशा के लिए बदनाम हो जाती..|




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