Thursday 12 May 2011

ए दोस्त जरा सोचो!!!!

हर सफ़र का मंजिल नहीं होता,
हर समंदर का साहिल नहीं होता,
पर ए दोस्त तू क्यों भूल गया की हर रिश्ते का अंजाम नहीं होता...?
हर सपना हकीकत नहीं होता,
हर नजारा असलियत नहीं होता,
पर ए दोस्त तू क्यों भूल गया की हर पराया अपना नहीं होता...?
हर गुलसन एक सा नहीं होता,
हर मौसम एक सा नहीं होता,
पर ए दोस्त तू क्यों भूल गया की हर इंसान एक जैसा नहीं होता...?
यादें मिटाना आसन नहीं होता,
रिश्ता निभाना आसन नहीं होता,
पर ए दोस्त तू क्यों भूल गया की जिंदगी का सफ़र सुहाना नहीं होता...?

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