Saturday 28 May 2011

सौन्दर्य और गुण!!!

फूल जब खिलता है,
बहार आ जाता है गुलशन में,
उसकी सुगंध,सौन्दर्य भा जाता है हर किसी को,
हर भँवरे का दिल करता है कि,
उसको चूम ले,अपना बना ले..|
निहार के हर कोई लट्टू हो जाता  है उस पर,
 चाहता है तोड़ कर अपने पास रखने को...|
 लेकिन जब इस गुलाब,
मुरझा जाता है समय के प्रवाह से,
न कोई भ्रमर आता है उस पर मंडराने को,
न कोई आशिक चाहता है उसे पास रखने को...|
पर ऐसी क्या बात हो गयी उस गुलाब में,
जो कल हर किसी का चहेता था..
आज छोड़ दिया गया रद्दी कागज़ की भाँती
कचरे के डिब्बे में...|
हाँ, जरूर एक कमी आई है उसमे कि,
चली गयी है सौंदर्य उसकी,
नहीं है यौवन की कांति,
वो चमक जो पहले था उस पर...|
सौंदर्य नहीं तो क्या हुआ  ?
भरा पडा है उसमे कभी न ख़त्म होनेवाला
खजाना गुणों का..|
तो आज का मानव ,
क्या इतना गिर गया है निचे?
दिखाई नहीं पड रहा अछि चीजें उसे..|   
कोई नहीं पहचान रहा है गुण को,
बस,दौड़ रहे हैं सभी क्षणभंगुर सुन्दरता के पीछे..|
हे !मानव भाई संभल जाओ,
अब भी वक़्त है तुम्हारे पास,
अपना लो गुण को,
त्याग दो चमकीले सौन्दर्य की दमक को...|

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