Tuesday 31 May 2011

तारीफ़-ए-हुस्न!!!

तू इतनी  हसीं है तू इतनी जबां है,
तुझे प्यार करने को जी चाहता है...|तुझे प्यार............
तुम्हारे ये होठों की रंगत गुलाबी,
तुम्हारी निगाहों की चुम्बन शराबी,
तुम्हारा ये चेहरा किताबी किताबी,
                                 इसे पढने को जी चाहता है......(१)
तुम्हारा ये मुखड़ा चाँद से है प्यारा,
कैसे बखानू लफ़्ज़ों में रूप ये न्यारा,
कम पड़ता है दुनियाँ की अलफ़ाज़ सारा,
                                  तुझे देख दिल बौरा गया है........(२)
हुस्न की मल्लिका तू जन्नत की परी,
इस धरती में तुझसा न कोई सुंदरी,
हर दिल की धड़कन तू ख्वाब सुनहरी,
                               तुझे पा लेने को जी चाहता है...........(३)
नींदे कोटि पद्म मुख ये तुम्हारी,
नयनों की कटाक्ष ज्यों मीठी कटारी,
किस्मत की धनि जिसका होगी तू गोरी,
                                 तुम्हे छुं लेने को जी चाहता है............(४)
बलखाके चले जब तू ए मधुवाला,
झरता है पलकों से रस मतवाला,
मधुकर दौड़े पिने को मद वो निराला,
                               दिल में बस गयी तू जब से देखा है...........(५)
काया मधुशाला मुख मधु की है प्याली,
जग गुलशन की तू अनमोल कलि,
देख तुझे हृदय में मची खलबली ,
                           ढूंढता था जिसे में तू ही वही है..............(६)     

   

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