दम तोडती है इमानदारी ,हकीकत के आगे,
कोई नहीं है इमानदार इस भ्रष्टतंत्र के आगे.
करते हैं व्यापार लहू का,
लुटते है अस्मत गरीबों का,
दिखाकर दम क्षमता का,
खून करते हैं मानवता का,
पहनकर मुखौटा बनते हैं साधू,
धंदे से इनके आता है बदबू,
बचाओ इनसे इस महान देश को,
दिखाओ रास्ता तिहाड़ का इनको.
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