Wednesday 26 October 2011

यादों की दिवाली

जलाता हूँ दीप उसकी यादों में
लोग कहते हैं आज दिवाली है,
रोशन  है सारा संसार मगर,
दिल की बस्ती में मेरी अँधेरा है.....(१)
ख़ुशी के पल में डूबा संसार सारा,
मै भी तो ज़रा हंसता हूँ,
कोई देख न ले मेरे आँसुओं को,
इसलिए अँधेरे में छुप के रोता हूँ....(२)
सुख मिले सारे जहाँ का उसे,
रब से दुआ यही मै करता हूँ,
कैसे मिटादूँ उसकी यादों को दिल से,
यादें ही सही,यादों में ही तो जीता हूँ....(३)

  

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