Tuesday 9 October 2012

मत छीनो मुझसे आजादी मेरी !!!!!

मैं एक चिड़िया सुनहरे पिंजरे में बंद ,
छीन ली है आज़ादी मेरी ,
बन में था जो कितने स्वच्छंद ........।
खाना रखा है लजीज ,
परोसा गया है चाँदी की थाली में ,
पर नहीं है   चाह इसका ,
मन  रमा  है मेरी हरियाली में .........।
 पंख  फडफडाए ढूंढ़ रही मैं ,
खो गयी है जो आज़ादी मेरी,
काश खुल जाये दरवाजा पिंजरे का 
बदल जाये जो नसीब मेरी .............।
बना दिया है   मुझे गुलाम ,
मखमली घर में न चैन है न तो आराम ,
झड रहें हैं पंख मेरे,
मन व्याकुल है आँखें आँसू भरे ,
कैसे छिपाऊं दिल में दर्द है जो मेरे ....।
आज़ादी की दीवानी हूँ ,
कोई तो सुने फ़रियाद मेरी,
तड़पते हुए दिल की पुकार मेरी
आज़ादी की दीवानी हूँ ,
मत  छीनो मुझसे आजादी मेरी ...........।

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