Sunday 17 February 2013

कैसे कहूँ ...???


     
कैसे कहूँ प्यार है तुमसे ...?
दिन कटता है ख्यालों में तेरे ,
रात गुजरती है सपनों में तेरे ,
तेरी ही तस्वीर हर वक़्त आँखों में मेरे ,
कैसे बयाँ करूँ हाल ये तुमसे,
कैसे कहूँ प्यार है तुमसे ...?
तेरी खुसी में अपनी खुसी ढूंढता हूँ ,
तेरी मुस्कान में अपनी हँसी ढूंढता हूँ ,
तेरे गम में अपनी आँखों को रोते देखता हूँ ,
जीवन का हर लम्हा कुर्बान है तुमपे,
कैसे कहूँ प्यार है तुमसे ...?
ख़ुदा के बदले पूजता हूँ तुझको ,
जूनून की हद तक चाहता हूँ तुझको ,
मेरी मुहब्बत का वास्ता है तुझको ,
ज़रा सोच लो इन अल्फ़ाज़ों को दिलसे ,
कितना प्यार करता हूँ तुमसे ,
कैसे कहूँ प्यार है तुमसे ...?

Wednesday 6 February 2013

****बढ़ता चल ****


   
मन की गहराई को टटोल कर ,
राह की हर मुश्किल को धकेल कर ,
तू बढ़ता चल ,अबिचल ,हरपल ...|
संकटों के पहाड़ हैं  बड़े ,
सिर उठाये पथ पर हैं खड़े ,
सुरवीर बनकर आगे निकल ,
तू बढ़ता चल ,अबिचल ,हरपल  ...|
दुःख के सागर को पार कर ,
तूफानों से न हार कर ,
मन में आशा ,हृदय में विश्वास जगाकर ,
तू बढ़ता चल ,अबिचल ,हरपल ...|
कर्म ही धर्म है ,
कर्म का ही तू सम्मान कर ,
जगत कल्याण के खातिर ,
अपनी ज़िन्दगी न्योच्छावर कर ,
तू बढ़ता चल ,अबिचल ,हरपल ...|

Saturday 22 December 2012

@@@ माँ सुन लो मेरी पुकार @@@


   
माँ !तूने मुझे जनम क्यों दिया  ?
अच्छा होता मुझे मार देती ,
कोख में ही तेरे |
अच्छा होता तू मुझे ,
न लाती इस दुनियाँ में  ||
काश ! मैं मारी जाती कंस के हाथों,
बचपन में ही शिला पर पटक कर ||
आज , मुझे ये दिन  देखना न पड़ता ,
यूँ भेडिओं के हाथों वलात्कार न होना पड़ता ,
मानव के मुखौटे पहनकर घुमने वाले ,
दरिंदों के हाथों ,
यूँ अस्मत मुझे गँवाना न पड़ता ||
घिन आती है मुझे इन चेहरों से ,
जो कहलाते हैं अपने को मानव ,
पर कदाचित पशु भी
न करते होंगे इतने घिनौने करतव ||
                                           हे  ,भगवान !
                                            क्या सोचकर बनाया हैं  इनको ,
                                           किस मिट्टी से बनाया हैं इनको ,
                                           जो धारण करती हैं इनको ,
                                           अपने ही खून से बनाती है इनको ,
                                           दुर्भाग्य से ,मिटाने पर तुले हैं उनको ||
                                           युगों से हो रहा है अवला पर अत्याचार ,
                                           कभी सीता के रूप में रावण का वार ,
                                           कभी द्रौपदी के रूप में चिर हरण दुर्योधन के हाथों ,
                                           सब सहते हुए हैं बेवस लाचार ||
                                           पापियों  के हाथों हो रहा है हररोज़ वलात्कार ,
                                           इनसान नहीं हैं ये लोग ,
                                           महिषासुर का हैं ये सब अवतार ||
                                           पर मत भूलों माँ का रूप दुर्गा भी है ,
                                           संहार करनेवाली नरमुंड पहननेवाली काली भी है ,
                                           धारण कर पालन करने वाली माँ भी है ||
                                           क्यों कर रहे हो उस माँ का अपमान ?
                                           जिसने तुम जैसे पापियों को ,
                                           गर्भ में धारण करके ,
                                           दिया है अनमोल जीवन दान ||
                                           

Wednesday 12 December 2012

### मैं समय हूँ ###



चलता हूँ नित ,अबिचल अबिरत ,
खींचता हुआ लकीर संसार के छाती पर ,
अपने धुन में मग्न होकर |
रखता नहीं हिसाव किसी का,
न जाने बीत गए कितने पल,
महिना ,साल ,गए निकल ,
युगों से चलता रहा हूँ मैं ,
समेटे अपने अन्दर कितने उथल पुथल |
देखा है मैंने आँखों के सामने ,
बनते हुए सभ्यता अनेक ,
राजाओं महाराजाओं के ललकार ,
खून की प्यासी तलवार की धार,
न रहा है कोई, न रहेगा कोई ,
पर, गंतब्य है मेरा अनंत अपार |
मूक साक्षी हूँ इतिहास का ,
बनते बिगड़ते ,सँवरते उजड़ते,हर एक दस्तावेज का,
हँसी आती है देख कर ,
मुझे बांधने की तारीखों में ,
मनुष्य के  असफल प्रयास का  |
न थका हूँ मैं ,न रुका हूँ मैं ,
अनंत ब्रह्माण्ड का अनंत श्रोत हूँ मैं,
न कर प्रयास मुझे बाँधने की कोशिश तारीखों मैं,
मैं तो शून्य हूँ ,इस अंत हीन प्रवाह में |


Friday 30 November 2012

## मुझे जीवन दान दो ##



माँ सुनलो बिनती मेरी ,
दर्द भरी दास्तान मेरी ,
किस लिए तुम हो इतनी बेचारी ??
कोख में करती हो धारण ,
रक्त मांस भरे तन को मेरे देती हो जीवन ,
फिर क्यों दुनिया में लाती नहीं मुझको,
कोख में क़त्ल करके क्या मिलता है तुझको,
नौ महीने का जगह तो सिर्फ माँगा था,
इसके बाद कही छोड़ दिया होता अनाथ,
जी लेती अपनी किस्मत के सहारे ...|
पर तूने मार दिया मुझको तीन महीने में ,
ज़रा सोचा होता क्या बीती मुझ पर ,
जब तू गयी थी डॉक्टर के पास,
सहमी सी ,कांपती रही आसन्न मौत के डर से ,
यमराज के दूत बनकर उस पापी डॉक्टर ने ,
कुचल दिया मेरे कोमत तन को ...|
माँ !क्या तुझे दया नहीं आयी ???
कहा सुख गया तेरा प्यार भरा ममता का सागर??
ये तो सोच लिया होता क्षण भर के लिए ..
'मैं' अगर मिटता रहा इस तरह ,
तुम्हारा रूप ही मिट जायेगा ,
मानव ,जननी को तरसता रह जायेगा ..|
तब मेरे श्राप के प्रभाब से ,
इस दुनियाँ का अंत  अवश्य हो जायेगा ...|

Tuesday 13 November 2012

***एक दीप जला दो ***

जगमगा उठे भारत भूमि ,
रोशनी फैल जाये चारों ओर ,
मिट जाये दिलों की अंधेरा ,
फैल जाये अमन भाईचारा ,
                               आज ये एलान करदो 
                                बस एक दीप  जला दो ......(1)
स्नेह प्यार का सन्देश फैला कर ,
मिट जाये दिलों की दूरियाँ ,
ज्ञान बिज्ञान की बत्ती जला कर ,
हट जाये अज्ञान की परछाईयाँ ,
                                  आशा की एक लौ जला दो ,
                                   बस एक दीप जला दो      (2)
तारों से सजी रहे आँगन सब की ,
हर चेहरे पे खुशियाँ हो ,
 सुख शांति का रहे बसेरा ,
इस धरती ही जन्नत का आधार हो,
                                      दुश्मन को भी दोस्त बना दो,
                                       बस प्यार का एक दीप जला दो (3)
न रहे बेसहारा कोई भी बच्चा ,
न रहे कोई भी भूखा प्यासा ,
न अवला पर अत्याचार हो ,
भ्रष्टाचार के राक्षस को जला कर ,
पापियों का सर्वनाश हो,
असत्य पर सत्य का विजय हो,
                                     फिर से सत्य की जोत जला दो ,
                                     बस एक दीप जला दो ..........(4)

Tuesday 23 October 2012

माँ


माँ !!!!
माँ तुम आओगी कब से था इंतज़ार,
धरती सजा रखी है सुमन का उपहार,
फिजाओं गूंज रही है तुम्हारी जय जयकार ,
उत्सब मुखरित है आज सारा संसार ,...|||
लाओ माँ खुशहाली दुनिया के लिए ,
अमन भाईचारा मानब के लिए ,
मिटे विसमता सरसे समता ,
करुणा बरसे तुम्हारी सुख शांति के लिए...|
फैली है समाज में भ्रष्टाचार ,
दुराचारिओं का है भरमार,
पापिओं के प्रकोप से ,
मानव कर रहा है हा हा कार,
अबला का अस्मत लूट कर,
महिषासुर कर रहा है ललकार,
दमन कर इन राक्षसों को माता ,
अपने संतानों का करो उद्धार ....|